ई-अटेंडेंस का विरोध: भोपाल में जुटे प्रदेश भर के शिक्षक

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ई-अटेंडेंस का विरोध: भोपाल में जुटे प्रदेश भर के शिक्षक, महेंद्र कुमार हरिनखेड़े बने प्रांतीय उपाध्यक्ष

ई-अटेंडेंस का विरोध

ई-अटेंडेंस का विरोध



भोपाल में मध्य प्रदेश के शिक्षक समुदाय ने एक बड़े आंदोलन की शुरुआत कर दी है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में लागू किए गए ई-अटेंडेंस सिस्टम के खिलाफ शिक्षकों ने अपनी आवाज बुलंद की है। इस मुद्दे पर बुधवार, 18 जून 2025 को शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के 22 जिलों से पदाधिकारी शामिल हुए। इस बैठक में अखिल भारतीय शासकीय प्राथमिक पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के नए प्रांतीय उपाध्यक्ष के रूप में शासकीय प्राथमिक शाला धपेरा के प्रधानपाठक श्री महेंद्र कुमार हरिनखेड़े को चुना गया। यह बैठक न केवल ई-अटेंडेंस सिस्टम के विरोध का मंच बनी, बल्कि शिक्षकों की लंबित मांगों और संघ की मजबूती पर भी गहन चर्चा हुई।


ई-अटेंडेंस सिस्टम: शिक्षकों की परेशानियां

बैठक में संघ के प्रदेश अध्यक्ष सीपी तिवारी ने ई-अटेंडेंस सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग ने बिना किसी मैदानी अध्ययन के इस ऑनलाइन उपस्थिति व्यवस्था का ट्रायल शुरू कर दिया है, जो शिक्षकों के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है। तिवारी ने बताया कि दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में आज भी इंटरनेट कनेक्टिविटी की भारी कमी है। कई क्षेत्रों में नेटवर्क की अनियमितता के कारण शिक्षकों को अपनी उपस्थिति दर्ज करने में कठिनाई हो रही है। इसके अलावा, यदि किसी शिक्षक का मोबाइल फोन खो जाए या चोरी हो जाए, तो उनकी उपस्थिति कैसे दर्ज होगी? यह सवाल अनुत्तरित है।


तिवारी ने आगे कहा कि जिलों में कलेक्टर अक्सर गैर-शैक्षणिक कार्यों जैसे चुनाव ड्यूटी, जनगणना, या अन्य सरकारी कार्यक्रमों में शिक्षकों की ड्यूटी लगा देते हैं। ऐसी स्थिति में जिला शिक्षा अधिकारी विभाग की ओर से कलेक्टरों के सामने कोई ठोस पक्ष नहीं रख पाते, जिससे शिक्षकों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब शिक्षक स्कूल में मौजूद नहीं होंगे, तो ई-अटेंडेंस कैसे संभव होगा? यह व्यवस्था ग्रामीण शिक्षकों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है, जहां तकनीकी सुविधाओं की कमी पहले से ही एक बड़ी बाधा है।


शिक्षकों की अन्य समस्याएं और मांगें

संघ के सचिव हरीश मारन ने बैठक में शिक्षकों की अन्य लंबित समस्याओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के शिक्षक हमेशा शासन के हर आदेश का पालन करने के लिए तत्पर रहते हैं, फिर भी उनकी कई मांगें अनसुनी रहती हैं। चतुर्थ क्रमोन्नत वेतनमान, उच्च पदनाम, और अतिशेष शिक्षकों की समस्या का अभी तक समाधान नहीं हो सका है। मारन ने बताया कि इन मुद्दों पर बार-बार शासन से वार्ता की गई, लेकिन कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि ई-अटेंडेंस सिस्टम के विरोध के साथ-साथ इन मांगों को भी जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।


संघ की मजबूती और भविष्य की रणनीति

बैठक में शिक्षकों ने अपने संघ को और मजबूत करने पर भी जोर दिया। महेंद्र कुमार हरिनखेड़े, जो अब प्रांतीय उपाध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, ने कहा कि यह संघ शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत मंच बनेगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि आने वाले दिनों में शिक्षकों की समस्याओं को शासन तक पहुंचाने के लिए आंदोलन तेज किया जाएगा। बैठक में शासन की उन नीतियों के खिलाफ एकजुटता दिखाने पर भी चर्चा हुई, जो शिक्षकों के हितों के खिलाफ हैं।


भोपाल बैठक का महत्व

यह बैठक इसलिए भी खास रही क्योंकि इसमें 22 जिलों से आए पदाधिकारियों ने अपनी एकता और संकल्प का परिचय दिया। बैठक के दौरान शिक्षकों ने निर्णय लिया कि वे ई-अटेंडेंस सिस्टम को वापस लेने और अपनी मांगों को मानने तक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। साथ ही, उन्होंने शासन से अपील की कि किसी भी नई तकनीकी व्यवस्था को लागू करने से पहले शिक्षकों की राय ली जाए और उनकी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाए।


निष्कर्ष

ई-अटेंडेंस सिस्टम के विरोध और महेंद्र कुमार हरिनखेड़े के प्रांतीय उपाध्यक्ष ध्यक्ष बनने के साथ मध्य प्रदेश के शिक्षक समुदाय में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। यह आंदोलन केवल एक तकनीकी व्यवस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि शिक्षकों के सम्मान, उनकी कार्यशर्तों, और उनके अधिकारों की लड़ाई है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर शिक्षकों की एकता और शासन का रुख क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। शिक्षक समुदाय की यह आवाज न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश के शिक्षकों के लिए एक मिसाल बन सकती है।



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